चाहत
किसी को जबरदस्ती
अपने साथ रखना
हमारी फितरत नहीं।
कोई मजबूरी में
हमें प्यार करे
ऐसी प्यार की हमें आदत नहीं।
किसी को बंधन में रखकर
उस से अपनापन जताना
ऐसे कर्म को
दिल की इजाज़त नहीं।
तुम कहो तो मैं कैद हो जाऊं,
तुम्हारे होठों की मुस्कान बन जाऊं,
पर किसी की आंखों की
आंसू बनने की मुझे चाहत नहीं ॥
- विश्वनाथ किंकर राउत
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