ज़िन्दगी के सफर में कुछ अकेला सा हो गया हूँ,
इसकी जद्दोजहद में असफल हो गया हूँ ।
कभी ज़िन्दगी मेरे असफलता पे हंसती है,
तो कभी ढाढस बढाती है ।
इस घिसी पिटी जिन्दगी से अब परेशान सा हो गया हूँ । ((1))
वो मुझसे कहती है,
"तु हार मत, मैं तेरे साथ हूँ ।"
पर उससे लड़ते लड़ते मैं होसला
हार चुका हूँ ।((2))
वो कहती,
"मैं तेरी परछाई हूँ, सफलता में साथ
ओर असफलता में तुझसे दूर हूँ।"
मैं ख़फा हूँ, गुमनाम हूँ, लाचार हूँ ।
पर मैं तेरे साथ हूँ.. "तेरे साथ हूँ "।
मानती हूँ तू गलती करता है असफल होता है,
पर मैं दूसरों की तरह नहीं हूँ जो तुझसे बैर कर तुझसे भाग जाऊं,
तू मेरा हमसफ़र है, तुझसे कैसे रूठ जाऊँ ? ((3))
कोई मुश्किल के सफर में तू हार मत,
कोई गलत कदम न उठा
मुश्किलों का सामना कर तू
और गलत रिस्तों, गलत फैमिया से भाग तू। ((4))
मैं तेरी हिम्मत हूँ,
जज़्बात हूँ,
मुझे तू ऐसे ठुकरा कर अलविदा न कर,
क्यूंकि मैं तेरे साथ हूँ..मैं तेरे साथ हूँ । ((5))
तुझे मैं दर्द देती हूँ,
मुश्किलों में डालती हूँ,
अपनों से दूर करती हूँ
धोके से वाकिफ कराती हूँ,
अपनी जद्दोजहत मैं तुझे फ़साती हूँ
और रोने पे मजबूर करती हूँ ।
क्यूँकि,
"मैं जिन्दगी हूँ पगले तुझे जीना सिखाती हूँ ",
इस बेदर्द दुनिया से तुझे वाकिफ कराती हूँ । ((6))
तू संभाल खुद को निडर बन
किसी की फिकर न कर
'मुझे जीत ले और अमर बन'। ((7))
मैं खुश हूँ, तू सीख रहा है।
अपने पराये मैं फर्क जान गया है,
गलतियों को सुधार रहा है,
असफलता से नहीं डर रहा है,
मुश्किलों से नहीं भाग रहा है,
सबका डट कर सामना कर रहा है तू,
क्यूँकि तू हार नहीं मुझे जीत रहा है..
"मुझे जीत रहा है ।" ((8))
- शेख. जुनैद जाफ्रि