प्रकाश
जब कभी यूं लगे तुमको
की घोर अंधेरा छाया है
रास्ता आगे धुंदली है
और साथ छोड़ा तेरा साया है।
भरोसा जरूर रखना तुम
ये अंधेरा अवश्य छट जाएगा
कारी अंधियारी रात भला
कभी ज्यादा देर टीक पाया है?
कभी न कभी तो ये
घने अंधेरे को जाना था
सूरज को रोशन होने से
भला कभी कोई रोक पाया है?
जीतना भी ढके काले बादल
प्रकाश की किरणे छानी है
गहरे सागर में छिपे मोती को
कोई गोताखोर ही ढूंढ पाया है।
धैर्य कभी न खोना तू
तेरा भी समय आएगा
इतनी साहस होगी तुझमें
की हर बाधा को पार कर पाएगा।
निखर के चमक ने को तो
सोना को तपना पड़ता है
वरना उस कोयले में हिम्मत क्या
जो सोना को जला पाएगा।
ईश्वर के उस विधान में
समय बड़ा बलवान है
कभी अंधेरे का समय चला
कभी प्रकाश का समय आया है।
- अर्पिता मिश्र
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