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    ऐ दिल तुझे ढूंढू कहाँ?

    Hindi Poem E Dil Tujhe Dhundu Kahan (ऐ दिल तुझे ढूंढू कहाँ) by Bibhuti Ranjan Panigrahi

    बोल ना दिल तुझे ढूंढू कहां
    छुपा है किस गली में तू
    है तेरा ठिकाना कहां
    उन रास्तों का नक्शा तो दिला दे
    जिन्हें पढ़ में पोहोंचू 
    उस गली उस शहर उस मोहले में
    मिल सकूं में तुझे जहां
    बोल ना दिल तू रहता है कहां?

    में भटका कई गली कुछ सहर 
    कभी मोहोलों में भी 
    पर तुझसे ना मिल सका कहीं 
    है अनजान बनके 
    कोई मुशाफिर बने चला तो दूर
    पर ना देख सका तुझे कहीं 

    खत लिखे उन गलियों को मेने 
    जिनमे तू घुमा करती थी 
    जिन सेहेरों तू रहती थी 
    उसने बारे तेरे मैंने पूछा भी 

    था जवाब हर किसीका ना में सही 
    पर फिर भी दिल कहीं भरता नहीं 
    हर कोशिश में तुझे ढूंढा मैंने 
    चाहे हर कोशिश में तू मिले ना सही 

    दिल को पत्थर बनाये मैंने 
    खुद को बोहोत संभाला कहीं 
    लाख नाकामी के बाद भी 
    तेरा पता ना मुझे मिला कहीं 

    किस्मत को मैंने था कोसा बोहोत 
    हालत को मजबूर होते देखा यहीं 
    वक़्त का मारा तो फिर भी था 
    पर खुद पर भरोसा खोया नहीं 

    है तलाश आज भी तुझे पाने की 
    है ख्वाइश आज भी तेरे पास आने की 
    लिख दिया उन इतिहास के पन्नो में 
    की तुझसे मिलने की ख्वाइश रह गयी कहीं

    ऐ दिल मुझे तेरा पता तो दे 
    मिल आऊं तुझसे थोड़ी देर के लिए सही 
    बाते कर लूँ कुछ मीठे तुझसे 
    कुछ गुफ्तगू कर लूँ पास तेरे बैठे कहीं 

    ऐ दिल तेरा पता दे तो सही 
    ऐ दिल तेरा पता दे तो सही...

    - बिभूति रंजन पाणिग्राही

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