रब-राखा
ये जो फिर से दिल टूटा है...
इसकी सजा हम किसको दें???
इसबारी की इल्जाम,
किसके माथे पर फोड़ दें??
गलत खुद होते तो...
हर सजा हमें कुबूल होती,
गलत वो होते तो...
उसके जिम्मेदारी भी हम लेते,
पर इस बार ना वो गलत है ना ही हम,
गलत वो रब है, जो मेरा सब है,
मेरा अतीत ना ही मेरा अब है...
ये वक्त ये प्यार जो ना कभी मेरे पख्य मैं था,
ये अब भी मुझसे बेर है,
ना मुझमें कोई ऐब है???
तकदीर को कोसूं या फिर खुदको???
मेरा जो सब है, वो मेरा कब है???
जो मेरा रब है, वो मेरा कब है???
- कल्याण कौशिक
जगतसिंहपुर, ओडिशा
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