छोटा सा गाँव है मेरा
भले ही इतिहास के पन्नों पे
ना हो उसका नाम
ऍसा है मेरा गाँव का नाम !
सूरज के उगते ही
चिड़ियाँ की मधुर गाना
किसान हल को लेकर खेती पे जाना !
वसन्त की खिलकारीयों मे कोयल की गुनगुनाहट सून्ना
माँ की गोद में नह्ने बच्चों की मुूसकुराना !
गाँव में वो मन्दिर की घण्टी
घर में माँ की सजाई हुई आरती का थाल
दोनों ही मन को प्रफुल्लीत कर देती है !
त्यौहारों में माँ की हाथ की बनाई हुई खीर
ऑर छोटी माँ बनाई हुई प्रसाद
अमरूत से भी बड़ कर होती हैं !
गाँव के मेले में पटाखे की स्वर, घर में मेहेमानों भीड़,
दीवाली हो या होली एेसे होती हर त्यौहारों की रंगोली !
भले ही धरती के किसी कोने में बसा है
मेरा छोटा सा गाँव,
फिर भी ऍसे मनाये जाते हर त्यौहारों !
चाँदनी रात में आसमानों के नीचे बैठ कर
बुर्जूगों के गप्पे लड़ाना!
तो कभी दादी माँ के गोद में सो कर लोरीयाँ सुनना !
भले ही इतिहास के पन्नाें पे
ना हो उसका नाम
छोटा सा है ..मेरा गाँव महान !!
- सानु जेना
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