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    इश्क़ कितना है तुमसे ये बताना नहीं आता

    Ishq Kitna Hai Tumse Batana Nahi Ata (इश्क़ कितना है तुमसे ये बताना नहीं आता) - A Hindi Poem by Bibhuti Ranjan Panigrahi

    इश्क़ तो है तुमसे
    मगर जाताना नहीं आता 
    कितना पूछोगी तो क्या जवाब दूँ 
    ये बताना नहीं आता 

    हाँ सच तो है 
    मानगो अगर तो चाँद ला दूँ 
    कहे तो तुझको तेरी तश्वीर दिखा दूँ 
    कुछ आधे अधूरे सपनो से में
    तेरे सारे ख्वाब सजा दूँ 

    तेरे आँखों के काजल के लिए 
    मेने अमावास् को है बुलाया
    तूने पूछा था पायल हमसे कभी
    तभी तारों को तेरे क़दमों में है सजाया

    बालों में ठहरे रंग को 
    मैंने सोने से है सजाया 
    आँखों की रौनक न कभी घटे
    तभी मोतियों को है उनमे बसाया 

    आंखें उनकी काली झील सी
    या गहरा कोई समंदर जैसा
    होंठ भी उनके गुलाब जैसे 
    या नरगिस फूलों के जैसा 

    हातों में मेहँदी है ऐसे रची 
    बादल में बिजली के जैसा 
    चूड़ियां उनकी कलाई में जैसे 
    फूलों के गुलदस्ते जैसा

    तू मांगे अगर तो 
    कैसे तुझको मना करें 
    दिल तेरा जान तेरी 
    कैसे तुझसे ये ना बयां करें 

    अब ना पूछ हमसे की
    इश्क़ कितना है ये बताना नहीं आता
    मोहबत है फिर भी तुमसे जाताना नहीं आता 

    - बिभूति रंजन पाणिग्राही

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