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    आस्था

    Hindia Poem Astha (आस्था) by Arpita Mishra Published on Shubhapallaba Hindia Portal

    वो ईश्वर जब तक मेरे साथ है
    डरने की फिर क्या बात है
    पल पल अनुभव करती जिसको
    अचल, अडिग जिसपे बिस्वास है।

    चाहे पथ भ्रमित करे मुझको
    चाहे रस्ता रोके कोई
    अविचल हूं मैं संघर्षों में
    दिशा निर्धारित तो करता वो है।

    वो ईश्वर मेरे कण कण बसा
    जीवन का तो कर्ता वो है
    तो क्यों डरना फिर कठिनाई से
    जब उसका रक्षा करना तय है।

    - अर्पिता मिश्र

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