आस्था
वो ईश्वर जब तक मेरे साथ है
डरने की फिर क्या बात है
पल पल अनुभव करती जिसको
अचल, अडिग जिसपे बिस्वास है।
चाहे पथ भ्रमित करे मुझको
चाहे रस्ता रोके कोई
अविचल हूं मैं संघर्षों में
दिशा निर्धारित तो करता वो है।
वो ईश्वर मेरे कण कण बसा
जीवन का तो कर्ता वो है
तो क्यों डरना फिर कठिनाई से
जब उसका रक्षा करना तय है।
- अर्पिता मिश्र
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