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    क्या हो तुम!!!

    क्या हो तुम!!! - Kya Ho tum, a romantic poem by Gulafsa Khanum

    कैसे कहूं क्या हो तुम,
    मेरी जिदेंगी मेरी जान हो तुम,

    हर एहसास मैं सबसे खास हो तुम,
    मेरी सुबह मेरी साम हो तुम,

    हर दर्द की दवा हो तुम,
    मेरे लिए सुकून का दूसरा नाम हो तुम,

    एक पल भी जिसको भूल नहीं पति वो याद हो तुम,
    मेरा पहला और अखरी  प्यार हो तुम,

    हर पल हिफाजत करने वाला वो ताबीज हो तुम,
    महफूज रहे हम जिसकी बाहों में, मेरे मोहफिज हो तुम,

    खुदा से पाने वाला अनमोल तौफ्फा हो तुम,
    मेरी कुबूल हुए वो दुआ हो तुम,

    बिना वजह चेहरे पे जो खिलता है वो मुस्कान हो तुम,
    मेरा गुरुर मेरा शान-मान  हो तुम,

    जिसको कभी खोना नहीं चाहती वो सच्चा इश्क हो तुम,
    जो मेरा सबकुछ है, हां हां वोही सक्श हो तुम,

    कैसे कहूं क्या हो तुम,

    बस इतना जानलो मेरे लिए सबसे जरूरी हो तुम,
    मेरी बे-हद बे-इंतेहा मोहब्बत हो तुम...


    - गुलाफ्सा खानम

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