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    आने वाला कल...

    आने वाला कल... - Aanewale kal Hindi Poem by Deepankar Panda

    आने वाला कल से हम रहते हैं बेखबर
    सच ही तो हैं.., वरना इंसान समय पर
    देखो ना कर लेता अपना पकड़ जमकर
    खुद को माने दुनिया चलानेवाला ईश्वर !

    हथेली से फिसलती रेत वापस नहीं आते
    गुज़रा हुआ वक्त सिर्फ यादों मैं रह जाते
    जो बीत गया उससे क्यू ना हम छोड़ देते
    भूत को छोड़ो चलो भविष्य बनाने चलते !

    गुजरे हुए अपने हमेशा यादों मैं रहेंगे
    छूटे हुए सारे रिश्तेनाते फिर से जुड़ेंगे
    उजड़े हुए पेड़ों पर पत्ते फिर से आएंगे
    समयचक्र है, वह दिन फिर से लौटेंगे !

    बिखरी हुई यादों को देखो समेट कर,
    भूलो वह बुरा वक्त जो गया है गुजर,
    रोशनी निकलती जैसे बादल को चिर,
    १ नयी सुबह लाएगी खुशीआं बेशुमार !

    - दीपंकर पंडा

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