पहेली सी जिदंगी...
एक पहेली सी है ये जिंदगी...
एक पहेली सी हे ये जिंदगी...
ना तू उलझ इसमें...
ना इससे सुलझाने के कोशिश कर...
बस निभा इसतरह किरदार अपना...
के रखे दूनीआ तूझे मिशाल बना कर...
ये जिंदगी हे मेरी जान...
रगंते इसके हे हजार...
बदल लेता है यहां रंग हर कोई...
तू बेरंग ही सही...
अपनी किरदार को चमकाया कर...
कुछ खट्टे तो कुछ मीठी
पहलू तेरे साथ जुड़ेंगे...,
कुछ तेरे साथ चले हैं ..,
तो कुछ अपनी राह भि मोडेगें...
मत घबराना तू ईन बेफिजूल बातों पर...
क्योंकि...
सफर तेरी जारी हे...
अब बस शाम ही तो ढली है...
काल फिर सूरज के नयी किरनों की बारी है ..
कुछ लोगों के दिल मे बसती हे तू ..
कुछ के दिमाग मे खटकना भी जरूरी है...,
दिल पे ना ले ईन बातों को...
क्योंकि यहि दुनियादारी हे...
सब को खुस करने के बेहिसाब कोशिस तू ना कर...
तेरी मुस्कान से खिलती हे जिनकी कलियां...,
उन फूलों को तू ना मुर्झाया कर...
उलझी , सुलझी ईंन बातों मे ..
अपनी कीमती वक्त तू बर्बाद ना कर...,
नहीं होती है मंज़िल हमेसा जवाबों मे...
कभी सफर का मज़ा भी तू ले लिया कर...
सफर का मज़ा भि तू ले लिया कर...।।
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