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    यादों में लिखा

    यादों में लिखा

    "था एक पल और कुछ थे यादें
    थी एक वक्त और कुछ थे लम्हे ।

    यादों में आज भी सतेज जैसे फूल
    ना कब मुर्झाए ना हो कभी धूल ।

    नएं दोस्त बनाएं और साथ उनके चलदी
    हातों में हात थे हमारी प्यारि दोस्ती ।

    समय जितना आगे बढ़ा बढ़ी डर दूरी की
    फिर भी दिल कहता हे रिश्ते थे मजबूती ।

    घूमना फिरना मस्ती के साथ ब्यक्त निकलता गया
    साथी थे जो दिल के यादों में सिमट लिया ।

    एक समय पेड़ भले ही पत्ते छोड़ देती है
    पर यह भी सच है कि आगे नए यादें बनती है ।

    जीवन भर के कहानी में लोग हजारों मिलेंगे
    कुछ दिल पे रहेंगे और कुछ बहजाएंगे ।

    हतेली आज भी देखूं तो उनके हाथ चिन्ह है
    ब्यक्त बदल जाए फिर भी मुस्कान से जाएंगे ।

    है वह वक्त तेरा सुक्रिया करती हूं
    जो भी दिया दिल से उन्हें अदब से गले लगाती हूं ।"


    - पी.पूरबी महांती
    बनाईं गड़, सुंदरगड़

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