Header Ads

Shubhapallaba English Portal
  • Latest Post

    चाय की टपरी

    chai-ki-tapri

    उस दिन कोरोना के वजह से छुट्टी की घोषणा कर दी गई थी ।

    बहुत सारे बच्चे घर जा भी चुके थे और कई जाने की तयारी में व्यस्त थे। पूरे कॉलेज में भागदड़ मच गई थी । ऐसे में हम दोनों हमारे विभाग का भवन के पीछे वाली चाय की टपरी पे मिले । मुझे चाय इतनी पसंद नहीं। एक चाय और एक कफ़ी का अर्डर देके हम लोग इंतिज़ार किए।

    उसने बोला - " पता नहीं ये लॉकडाउन कब खत्म होगा और हम फिर कब मिलेंगे ।" 

    मैं - Don't worry... फ़ोन पे बात तो करेंगे ही ।
    वो - घर पे इतनी बात नहीं हो पाएगी ( दुखी शक्ल बनाकर)

    मैं उसका हाथ पकड़ने वाली थी इतने में आवाज आयी दीदी आपका अर्डर । हम दोनों चाय और कफ़ी लिए टपरी के पीछे रखी कुर्सी में बैठकर चुस्कि लेने लगे । कोई और नहीं था वहां ।

    थोड़ी देर बाद उसने बोला "मुझे कफ़ी टेस्ट करनी है।" मैंने अपना कप उसके तरफ बढ़ाया ।

    वो - यहां से नहीं (मेरे होठों को छुके) यहां से पीना है ।

    फिर मेरी आंखे बंद थी और मुझे चाय का स्वाद पसंद आया ।

    शिबानी आचार्य

    No comments

    Post Top Ad

    Shubhapallaba free eMagazine and online web Portal

    Post Bottom Ad

    Shubhapallaba Punjabi Portal