एक सामाजिक बार्ता !
अगर तुम ये समझते हो कि तुम सच्चे मुसलमान हो और मस्जिद जाओगे तो तुम्हे कुछ नहीं होगा,
तो सुनो,
नबी-ए- पाक मोहम्मद ने १४०० साल पहले फरमाया था कि "अगर किसी जगह ऐसी बीमारी फैलने लगे जिससे बाकी लोगों को खतरा हो तो वहां से कोई बाहर मत जाओ, और को बाहर हो वो अंदर मत आओ"।
अल्लाह पाक ने सबसे नेक बंदे को भी बीमारी दे सकता है, इसलिए खुदको खुदा समझना बंद करो और घरपे नमाज़ अदा करो। और घरको कब्रस्तान बनने से रोको।
अगर तुम्हारी वजह से एक भी जान भी गई तो खून का इल्ज़ाम तुम पे ही होगा।
और इस्लाम में कातिल कि साझा बहुत बड़ी है!
जब मक्का सरीफ और मदीना जैसे धार्मिक जगह को बंद कर दिया गया है तो हमारे मस्जिदों का बंद करना पूरा जायज़ है।
दूसरों के बहकावे में मत आओ
इसलिए मूर्ख मत बनो और अज्ञानता से दूर रहो। घर पे ही नमाज़ पढ़ो।
घर पे रहो, सरकार और WHO कि कहीं गई हर नियम का पालन करो। Corona को फैलने से रोको!
खुद सुरक्षित रहो और औरो का भी खयाल रखो।
- जहानारा बेगम
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