Header Ads

Shubhapallaba English Portal
  • Latest Post

    सफर 'सपनों से हकीक़त' तक


    ये कई बरसों की बात थी,
    जहां खुदसे खुदकी लड़ाई थी,

    ना जितने के सुकून थे
     ना हारने का कोई ग़म थे,

    बस एक नई सूरज की आस थी,
    और नई रोशनी की तल्लास थी। (१)

    'फिर भी एक सपना को साकार करने की जो दिल में आरजू थी,
    उसको पूरा करने के लिए आसमानों में सपनों की उड़ान थी।' (२)

    हर दिन मर मर के जीने की अब जैसे आदत सी होगाई थी,
    अब्तो जैसे घरवालों से मिले हुए अर्सा सी बीत गई थी। (३)

    बेवफ़ाई और इश्क़ का मारा था
    दर्द ही मेरा सहारा था,

    'फिर भी सपनों को हकीकत में तब्दीली के लिए
     धरती और आसमानों को एक कर'

    ना परवाह करते इसकी गहराई का,
    सपनों के समुन्दर में गोत लगाया था। (४)

    "ना भर पेट खाना था,
    ना नींद का कोई ठिकाना था,

    बस एक जुनन था,
    अपने जिद्द को पूरा करने का आस था,
    और सफ़लता पाने का दृढ़ संकल्प था।" (५)

    उम्मीद तो थी
    पर अब वो बल ना था,

    हिम्मत तो थी
    पर अंदर ही अंदर से टूट चुका था,

    फिर भी लड़ता रहा
    गिरा और खुदको संभाला और चलता रहा। (६)

    क्यूंकि अभी भी आंखों में सपने हजार हैं
    और पूरा करने के लिए कई सारे वजह हैं

    क्यूंकि जब तक जिंदेगी है
    तब तक ज़िन्दगी से उम्मीद भी कायम है।।।(७)

    - शेख. जुनैद जाफ्री

    No comments

    Post Top Ad

    Shubhapallaba free eMagazine and online web Portal

    Post Bottom Ad

    Shubhapallaba Punjabi Portal