फूल
जलन होतिहे तुम्हे देख के
तुम इतनी सुंदर क्यूं हो
सिकायत तो उस खुदा से है जो
तुम्हे फुरसत से बनाया हो
कोई भी रंग हो तुम्हारी
लाली,पीली या सफेद
दिल को ही चू लेते हो
धूप, छाओ या तूफान में भी
हमेशा खिलखिलाते रेहेते हो
जितना भी गम हो हमेशा
मुस्कुराती रेहेती हो
पतानेहिं इतनी आसानी से
ये सब कैसे कर पाते हो।
एक झलक दे के सुबह
मन में हलचल मचा देते हो
फिर सामको अपनी हुस्न से
थकान दूर कर देते हो
अपनी खुस्बू से पराया को भी
झट्से अपना बना लेते हो
भमरे जैसे जितने भी दूर हो
तुम पास बुला लेते हो
रोते हुए आंख में भी तुम
मुस्कान भर देते हो
पता नहीं ए सब इतनी आसानी से
तुम कैसे कर पाते हो।
बहत कोसिस की बन ने की
तुम्हारी तरह क्यूंकि
मुझे सिर्फ तुम पसंद हो
पर कभी बन नहीं पाई
तुम जैसी क्यूंकि
तुम सबसे अलग हो
तुम तो कभी सर की ताज तो
कभी पांव में भी उजड़ जाते हो
कभी बालों में सजती हो तो
कभी बिस्तर में समेट जाते हो
बस एक ही सवाल रेहेगेया
मेरी जेहेन में अब तुमसे
इतनी आसानी से ये सब
कैसे कर पाते हो तुम
कैसे कर पाते हो।
- प्रज्ञा महापात्र
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