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    सारे शहर को हुआ क्या?


    ना जाने ये सारे शहर को हुआ क्या है?
    सुनसान सडकें, सुनसान सारे शहर,
    पेड, पौधे भी जैसे चुप हो गये हैं,
    चिड़ियाँ भी जैसे अपनी बोली भूल गये हैं,
    ना जाने ये सारे शहर को हुआ क्या है?

    ना जाने कौन सा डर है,
    ना जाने कौन सी हवा चल रही है,
    सब को यही कहते सुना गया है,
    क...रो....ना, क...रो...ना, कोई कुछ भी क...रो...ना,
    किसी से मिलोना, बातें करोना,
    बस इतना कहते सबको, सुना है,
    ना जाने ये सारे शहर को हुआ क्या है?

    बहुत ही कम लोगों का आना, जाना है,
    जो भी जा रहा है, अकेले जा रहा है,
    अपना मुहँ छुपाकर जा रहा है,
    ना जाने कौन सी शर्मिंदगी या डर,
    सबको सता रहा है,
    ना किसीसे बात कर रहा है, ना देख रहा है,
    गले मिलना तो दूर, हाथ भी ना मिला रहा है,
    ना जाने ये सारे शहर को हुआ क्या है?

    सारे शहर में चुप्पी छा गयी है,
    बातों का सिलसिला खत्म हो रहा है,
    राहें सुनी सुनी सी है,
    कहीं कहीं लाशों का आना जाना है,
    या कहीं जिन्दा मुर्दा बनने की तैयारी में है,
    ना जाने ये सब क्या और क्यूँ हो रहा है,
    हवाएँ थम सी गयी है, भय का कोहरा छा गया है,
    ना जाने ये सारे शहर को हुआ क्या है?

    गले मिलोना, मिलोना,... बातें करोना, करोना,
    हाथों को छुओ ना, छुओ ना,
    कुछ तो हुआ है,
    चारों तरफ सिर्फ मि...लो...ना,...मि..लो..ना,
    छु..ओ..ना,...छु...ओ..ना,... क...रो...ना, क...रो...ना,
    बस इतना ही सुनाई दे रहा है,
    ना जाने ये सारे शहर को हुआ क्या है? हुआ क्या है?

    - कल्याणी नन्द,
    कल्याणनगर, बुढारजा,
    सम्बलपुर, उड़ीसा ।

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